कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर
तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ
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परदा तो होश वालों से किया जाता है हुज़ूर
तुम बेनक़ाब चले आओ हम तो नशे में हैं
सोचा था कुछ और, लेकिन हुआ कुछ और
इसीलिए ये भुलाने के लिए चले गए शराब की ओर
कहते हैं पीने वाले मर जाते हैं जवानी में
हमने तो बुजुर्गों को जवान होते देखा है मैखाने में
रख ले 2-4 बोतल कफ़न में,
साथ बैठ कर पिया करेंगे,
जब माँगे गा हिसाब गुनाहों का,
एक पेग उसे भी दे दिया करेंगे!!
मत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी
उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है
पीने से कर चूका था में तौबा मगर
बादल का रंग देख के नियत बदल गई
फिर इश्क़ का जूनून चढ़ रहा है सिर पे
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश,
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।
जाम तो यू ही बदनाम है यारों कभी इश्क करके देखो
या तो पीना भूल जाओगे या फिर पी-पी के जीना भूल जाओगे ||