कभी सोचा करता था
कैसे रह पाऊँगा तेरे बिना
देख तूने ये भी सिखा दिया मुझे.
Post Copied
कभी सोचा करता था
कैसे रह पाऊँगा तेरे बिना
देख तूने ये भी सिखा दिया मुझे.
निग़ाहों से भी चोट लगती है ज़नाब,
ज़ब कोई देखकर भी अनदेखा
कर देता है.
तेरी आँखों से यू तो सागर भी पिए हैं
मैने,तुझे क्या खबर जुदाई के दिन
कैसे जिए हैं मैने…
ना शौक दीदार का ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो
मोहब्बत नहीँ करतेँ…